US-EU डील क्या सच मे एक तरफा हुई है? डील के बाद कही मायूसी तो कही उत्साह

बिजनेसमैन रह चुके अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ के साथ "अभूतपूर्व" डील कर साइन कर ली है. यूरोप के कई उद्योग, इस ट्रेड डील में अपना बिखरता भविष्य देख रहे हैं.

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Was the US-EU deal really one-sided? After the deal, there was disappointment and excitement at some places

कूटनीति डेस्क स्कॉटलैंड में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का एक गोल्फ रिजॉर्ट है. रविवार को उसी रिजॉर्ट में ट्रंप और यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सुला फोन डेय लाएन की मुलाकात हुई. घंटे भर चली मुलाकात के बाद ट्रंप ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच “अब तक के सबसे बड़े” समझौते का एलान किया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस समझौते ने अटलांटिक महासागर के दोनों तरफ एक बड़े कारोबारी युद्ध के खतरे को ठंडा कर दिया है.

डील का एलान करते समय ट्रंप के चेहरे पर कड़े प्रतिद्वंद्वी जैसा भाव था. प्रेस के सामने उन्होंने जब फोन डेय लाएन से हाथ भी मिलाया तो उनके चेहरे पर कोई दोस्ताना भाव या मुस्कुराहट नहीं थी. ट्रंप के बगल में बैठे उनके अमेरिकी सहयोगी अपने राष्ट्रपति के प्रदर्शन से गदगद नजर आए, जबकि फोन डेय लाएन के करीब बैठे यूरोपीय अधिकारियों ने डील के एलान पर तालियां तो बजाईं लेकिन उनके चेहरे गंभीर मुद्रा में ही रहे.

यूरोप के सामने अमेरिकी सेल

ट्रंप के मुताबिक समझौते के तहत अमेरिका, यूरोपीय संघ से आने वाले प्रोडक्ट्स पर 15 फीसदी का बेसिक आयात शुल्क लगाएगा. ट्रंप ने एलान किया कि 27 देशों के समूह, यूरोपीय संघ, अमेरिका से “750 अरब डॉलर के बराबर ऊर्जा” खरीदने पर रजामंद हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी दावा किया कि यूरोपीय संघ उनके देश में 600 अरब डॉलर अतिरिक्त निवेश भी करेगा.

“मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” का नारा देकर जनवरी 2025 में दूसरी बार राष्ट्रपति बने ट्रंप ने यह भी एलान किया कि यूरोपीय संघ के देश, नाटो की छत्रछाया में अपना रक्षा बजट बढ़ाएंगे और “अरबों डॉलर की सैन्य मशीनरी भी खरीदेंगे.”

यूरोपीय आयोग की प्रमुख फोन डेय लाएन के मुताबिक, संघ अगले तीन साल में अमेरिका से तरल प्राकृतिक गैस (LNG), तेल और परमाणु ईंधन भी खरीदेगा. इस खरीद के जरिए यूरोपीय संघ ऊर्जा के मामले में रूस पर अपनी निर्भरता कम करेगा.

अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच हर साल करीब 1,900 अरब डॉलर का कारोबार होता है. ट्रंप के बगल में बैठे हुए समझौते का एलान करते हुए फोन डेय लाएन ने कहा, “यह एक अच्छी डील है. यह स्थिरता लाएगी. यह सही अनुमान लगाने में मदद करेगी. अटलांटिक के दोनों तरफ हमारे कारोबार के लिए यह बहुत जरूरी है.”

ट्रंप की टैरिफ मशीन में यूरोप

यूरोपियन कमीशन की चीफ के मुताबिक, दोनों पक्ष कई “रणनीतिक प्रोडक्ट्स” को आयात शुल्क से मुक्त रखने पर समहत हुए हैं. इनमें खासतौर पर विमान, कुछ रसायन, कुछ कृषि उत्पाद और संवेदनशील कच्चा माल शामिल हैं. फोन डेय लाएन को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में दोनों पक्ष “जीरो फॉर जीरो” एग्रीमेंट्स पर भी सहमत होंगे.

स्कॉटलैंड में हुए इस समझौते को अमल में लाने के लिए यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों को इसे अप्रूव करना होगा. जर्मन चासंलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने डील की तारीफ की है. आयरलैंड के विदेश व व्यापार मंत्रालय ने भी इसे कामयाबी बताया है.

ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में यूरोपीय संघ पर भी कई तरह के टैरिफ लगाए. इनके तहत यूरोप से अमेरिका जाने वाली कारों पर अप्रैल में 25 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया गया. पहले यह शुल्क 2.5 फीसदी था. स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर 50 परसेंट शुल्क चिपकाया गया. इनके साथ ही यूरोप के हर प्रोडक्ट पर 10 फीसदी टैरिफ लगाया गया. ट्रंप ने यूरोपीय संघ को चेतावनी दी थी कि अगर उसने अमेरिका के साथ 1 अगस्त 2025 तक ट्रेड डील नहीं की तो, हर प्रोडक्ट पर 30 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा.

क्या ट्रंप के आगे यूरोप ने घुटने टेके

यूरोप के कुछ नेताओं और औद्योगिक क्षेत्र के दिग्गजों को यह डील रास नहीं आ रही है. कई मुद्दों पर यूरोपीय संघ से बिल्कुल जुदा राय रखने वाले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने डील की कड़ी आलोचना की है. एक पॉडकास्ट में ओरबान ने कहा, “यह एक समझौता नहीं है. डॉनल्ड ट्रंप, फोन डेय लाएन को नाश्ते की तरह चबा गए. यही हुआ और हमें अंदाजा था कि यही होगा क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति एक हेवीवेट हैं और उनके सामने मोल-भाव में मैडम प्रेसीडेंट फर जितनी हल्की हैं.”

ओरबान ने सोमवार को कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन के बीच जो डील हुई है, यूरोपीय संघ के साथ हुई डील उससे भी घटिया है.

फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांसुआ बायरौउ ने इस डील को यूरोप के लिए “काला दिन” करार दिया है.

फ्रांस के यूरोपीय अफेयर्स के मंत्री बेन्जामिन हडाड ने भी समझौते को “असंतुलित” करार दिया है. सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर हडाड ने लिखा, “यूरोपीय आयोग और अमेरिका के बीच हुए कारोबारी समझौते से आर्थिक क्षेत्र को अस्थायी रूप से स्थिरता मिलेगी, क्योंकि उस पर अमेरिकी टैरिफों के बढ़ने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन यह असंतुलित भी है.”

फ्रांस के वाइन उत्पादक इस समझौते से खासे मायूस हैं. अमेरिका, फ्रेंच वाइन का बड़ा बाजार है और 15 फीसदी का शुल्क इस निर्यात पर बुरा असर डाल सकता है.

नई डील के मुताबिक, यूरोपीय संघ ने अमेरिकी बाजार जाने वाली कारों पर भी 15 फीसदी टैरिफ लगेगा. जर्मन कार उद्योग इससे आहत है. जर्मन ऑटो इंडस्ट्री ग्रुप, वीडीए के प्रेसीडेंट हिल्डेगार्ड म्युलर के मुताबिक, “15 परसेंट की अमेरिकी टैरिफ दर, ऑटोमोटिव प्रोडक्ट्स पर भी लागू होती है, यह जर्मन ऑटोमोटिव कंपनियों पर हर साल अरबों यूरो का भार डालेगी.”  जर्मनी की बिजनेस फेडरेशन, बीडीआई ने भी समझौते को खासे नकारात्मक परिणामों वाला बताया है.

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